लेखनी कहानी -31-Oct-2022
मेरा स्वाभिमान (भाग-2)
यह सूरज की कहानी है ।जो एक सोसाइटी में गार्ड
का काम करता है।जो कि बहुत ही समझदार और
पढ़ा-लिखा लड़का है।लेकिन मजबूरी के कारण वह यह काम कर रहा है। वह सभी के साथ अच्छा व्यवहार करता है। जब भी समय मिलता किताबे पढता रहता है।
एक बार की बात है•••••••••सूरज की रात की ड्यूटी थी। सर्दी वाली रात,बहुत ठंड थी। करीब दो बजे के आस-पास का समय था।
सूरज अपनी ड्यूटी दे रहा था।प्रतिदिन दो गार्ड
होते थे।लेकिन उस दिन अकेला ही सूरज ड्यूटी दे रहा था।रात के समय 1 से 5 के बीच कोई एक्का दुक्का लोग ही आते हैं।सोसाइटी के चक्कर लगा कर वह अपनी कुर्सी पर बैठ गया।थोड़ी देर में उसकी आँख लग गई। मुश्किल से 15 मिनट ही हुए थे।
तभी एक कार आकर हॉर्न मारने लगी।सूरज को लगा सपने में कोई हॉर्न बजा रहा है।लेकिन तभी जोर -जोर से हॉर्न की आवाज़ आने लगी।सूरज अचानक घबरा कर उठ गया। फटाफट भागकर ताला खोल दिया।और कार अंदर आ गई।
तभी कार में से एक लड़का निकला।और वो सूरज को मारने लगा।सूरज बोलता ही रह गया साहब माफ़ कर दो गलती हो गई।लेकिन उस लड़के ने नहीं सुनी और गंदी गंदी गालियाँ देने लगा। सूरज माफ़ी माँगता रह गया।लेकिन वो लड़का तो शराब में धुत था। फिर अचानक उसने सूरज को धक्का दे दिया। और उसका सिर दीवार में जाकर लगा।उसके सिर से खून निकलने लगा।
ये देख कर वो लड़का अपनी कार में बैठ कर अपने फ्लैट पर चला गया।
सूरज बहुत मुश्किल से खुद उठा।और गेट पर ताला लगाया। तभी इतना शोर सुन एक दो लोग आ गए। उन लोगों ने सूरज की पट्टी की।और फोन पर सोसाइटी के प्रेसिडेंट को सूचित किया।
जैसे-तैसे रात कटी।सुबह सूरज अपनी ड्यूटी खत्म कर प्रेसिडेंट के पास गया और उसने सारी बात बताई।उन्होंने शिकायत नोट कर ली।
सूरज अपने घर चला गया।उस लड़के के घर नोटिस भेजवा दिया गया मीटिंग में 5 बजे बुलाया गया।मीटिंग रूम में सभी मेम्बर और उस लड़के के माता-पिता को बुलवाया गया।
भाटिया जी- नमस्ते शर्माजी बेटे पर थोड़ा तो कंट्रोल करो।20 साल लड़का है इतना भी समझदारी नहीं।गार्ड को कुछ हो जाता तो???
शर्माजी -भाई साहब आप तो सारी गलती मेरे बेटे की बता रहे है।उस साले कमाने को सिर पर बैठा रहे हो।ऐसे कामचोर लोगों को निकाल फेंको।
भाटियाजी-भाई साहब यह बात गलत है यह करके आप अपने बेटे को गलत बात के लिए प्रेरित कर रहे हैं गार्ड की उम्र भी आपके बेटे जितनी है।वह भी किसी का बच्चा ही है हाथ उठाने का क्या अधिकार था? उसकी छोटी सी गलती थी कि दरवाजा देर से खोला बताइए यह गलती तो किसी से भी हो सकती है रात का समय था उसकी अगर एक 2 मिनट के लिए आँख लग गई तो उसे इतनी बुरी तरह से मारा और उसके सिर में भी चोट आ गई है। एक गरीब इंसान की जान का कोई महत्व नहीं है क्या??
लेकिन शर्मा जी अपनी बात पर अडिग रहे। उन्हें अपना बेटा सही लग रहा था।उसने जो किया सही किया था।
अब आप लोग बताइए ?यह क्या सही था ? हमें
इस तरह का व्यवहार करना चाहिए?
इस तरह की घटना आप सब लोगों ने भी देखी होगी। गार्ड को गाली देते हुए चले जाते हैं। लेकिन क्यों?गार्ड अपनी ड्यूटी निभा रहा है। उसको गाली देने का किसी को अधिकार नहीं। "जैसे आप अपनी इज्जत करवाना चाहते हैं उसी तरह से आप दूसरों की भी इज्जत दीजिए "।
"एक गरीब इंसान वहाँ पर आपकी सेवा के लिए बैठा है आपकी देखभाल के लिए बैठा है हम सभी को उसके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए।"
आपको नमस्ते करता है तो आप भी उसको नमस्ते करना चाहिए।
अपने बच्चों को भी सिखाना चाहिए कि गार्ड अंकल को नमस्ते करे। जो हम करेंगे वही तो हमारे बच्चे करेंगे इसीलिए आराम से पेश आएं और प्यार दे और प्यार ले।
हर इंसान का अपना एक स्वाभिमान होता है।
एक गरीब इंसान की बेइज्जती करना बंद करें दे।
उसको सम्मान दे। उनके नाम के आगे जी लगाएँ।
यह भैया -भैया कहना बंद करें। और सम्मान के साथ उनको सर कहें। यही है सच्चा स्वाभिमान है।
Palak chopra
06-Nov-2022 01:18 AM
Shandar 🌸🙏
Reply
Mithi . S
05-Nov-2022 03:30 PM
Behtarin rachana
Reply
Khan
04-Nov-2022 04:55 PM
Shandar 🌸🙏
Reply